लगभग लोग टॉयलेट फ्लश के दोनों बटन का करते है गलत इस्तेमाल, जाने क्या है असली फर्क Tilot Flush Button

Tilot Flush Button: आपने अक्सर टॉयलेट फ्लश में दो बटन देखे होंगे लेकिन शायद ही कभी सोचा होगा कि इनका असल में क्या काम होता है. ये दो बटन न केवल डिज़ाइन की भिन्नता को दर्शाते हैं, बल्कि इनका मुख्य उद्देश्य पानी की बचत करना भी है.

पानी बचाने में बटनों की भूमिका

इन दो बटनों में से एक छोटा बटन, जिसे Half Flush के रूप में जाना जाता है, मुख्य रूप से पेशाब के बाद इस्तेमाल के लिए होता है और यह लगभग 3 लीटर पानी खर्च करता है. दूसरा बड़ा बटन, जिसे Full Flush कहा जाता है मल त्याग के बाद इस्तेमाल के लिए होता है और इसमें 6 लीटर पानी आता है.

गलत इस्तेमाल से बढ़ती पानी की बर्बादी

अधिकांश लोग इस बात से अनजान होते हैं कि इन बटनों का इस्तेमाल किस प्रकार से करना चाहिए. रिसर्च बताती है कि 99% लोग इसका गलत इस्तेमाल करते हैं, जिससे हर रोज़ लाखों लीटर पानी व्यर्थ में बह जाता है.

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ड्यूल फ्लश सिस्टम

यह प्रणाली 1980 के दशक में ऑस्ट्रेलिया में विकसित की गई थी. मुख्य उद्देश्य था घरेलू स्तर पर पानी की खपत को कम करना और जल संरक्षण को बढ़ावा देना.

भारत में ड्यूल फ्लश का प्रचलन और आवश्यकता

भारत में पानी की बचत को देखते हुए इस सिस्टम को अपनाया गया है. आजकल के अधिकांश मॉडर्न टॉयलेट्स में यह सिस्टम मौजूद होता है. अगर आपके टॉयलेट में अब तक यह सिस्टम नहीं है, तो इसे इंस्टॉल करवाने पर विचार करना चाहिए.

आम जनता के लिए संदेश

अगली बार जब आप टॉयलेट का इस्तेमाल करें, तो सोच-समझ कर फ्लश के बटन दबाएं. छोटे बटन का इस्तेमाल पेशाब के बाद और बड़े बटन का इस्तेमाल मल त्याग के बाद करें. यह छोटा सा कदम न केवल पर्यावरण को बचाने में मदद करेगा, बल्कि आपके पानी के बिल में भी कमी ला सकता है.

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