प्राइवेट स्कूलों में मनमानी फीस पर लगेगी रोक, पूरे देश के लिए सरकार कर रही ये काम Govt Action On Fees

Govt Action On Fees: शिक्षा जो हर किसी के लिए जरूरी है अब केंद्रीय हस्तक्षेप का मुद्दा बन गया है क्योंकि देश भर में निजी स्कूलों द्वारा फीस में मनमानी बढ़ोतरी की गई है. इस समस्या का समाधान करने के लिए केंद्र सरकार ने एक पारदर्शी और जवाबदेह व्यवस्था की योजना बनाई है. इसके अंतर्गत एक मॉडल ड्राफ्ट तैयार किया जा रहा है जो सभी राज्यों में लागू किया जा सकेगा.

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का क्रियान्वयन

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत, शिक्षा मंत्रालय ने इस पहल की शुरुआत की है. NEP स्पष्ट रूप से बताती है कि स्कूलों का मुख्य उद्देश्य गुणवत्तापूर्ण शिक्षा प्रदान करना है, न कि अभिभावकों का आर्थिक शोषण करना. इस नीति का उद्देश्य शिक्षा के व्यवसायीकरण को रोकना और शिक्षण संस्थानों को अधिक जवाबदेह बनाना है.

स्कूल फीस पर रोक लगाने की नई नीति

जिस मॉडल ड्राफ्ट की तैयारी हो रही है, उसके अनुसार सभी स्कूलों को फीस में बढ़ोतरी के लिए एक मानकीकृत प्रक्रिया का पालन करना होगा. इसका मतलब है कि किसी भी स्कूल द्वारा फीस में मनमानी बढ़ोतरी नहीं की जा सकेगी और हर बढ़ोतरी को संबंधित अधिकारियों की मंजूरी मिलेगी.

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शैक्षणिक प्रदर्शन और रैंकिंग प्रणाली

नई व्यवस्था के अंतर्गत, स्कूलों को उनके शैक्षणिक प्रदर्शन और इंफ्रास्ट्रक्चर के आधार पर रैंकिंग दी जाएगी. यह रैंकिंग स्कूलों को उनकी सेवाओं के अनुसार फीस निर्धारित करने की अनुमति देगी. प्रत्येक राज्य को अपने स्कूलों की रैंकिंग करनी होगी और इसे नियमित रूप से अपडेट करना होगा.

जिला शुल्क नियामक समिति का गठन

फीस निर्धारण और वृद्धि को संभालने के लिए जिला शुल्क नियामक समिति की स्थापना की जाएगी. इस समिति में स्थानीय अधिकारी, शिक्षा विभाग के प्रतिनिधि और अभिभावकों के संघ के सदस्य शामिल होंगे. इस समिति का काम फीस निर्धारण की प्रक्रिया को नियंत्रित करना और इसे अधिक पारदर्शी बनाना होगा.

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