Free Langar Train: भारतीय रेलवे लगातार यात्रियों को बेहतर और सुविधाजनक सेवाएं देने के लिए नई योजनाओं पर काम कर रहा है. सफर के दौरान बेहतर खान-पान से लेकर आरामदायक सीटें और सफाई व्यवस्था तक, रेलवे का प्रयास हमेशा से यात्रियों की सुविधा को प्राथमिकता देने का रहा है. अब यात्री IRCTC की वेबसाइट या ऐप से अपनी पसंद का खाना सीट पर मंगवा सकते हैं. लेकिन इसके बीच एक ट्रेन ऐसी भी है जो सेवा, समर्पण और समाजसेवा का अद्भुत उदाहरण बन चुकी है
सचखंड एक्सप्रेस
अमृतसर और नांदेड़ के बीच चलने वाली सचखंड एक्सप्रेस सिर्फ एक सामान्य ट्रेन नहीं है, यह एक चलते-फिरते लंगर का प्रतीक बन चुकी है. यह ट्रेन 2081 किलोमीटर का लंबा सफर तय करती है और इस दौरान यात्रियों को मुफ्त में नाश्ता, दोपहर का भोजन और रात का खाना परोसा जाता है. इसमें यात्रा करने वाले यात्रियों को खाने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क नहीं देना होता.
29 सालों से चल रही यह अनोखी परंपरा
इस ट्रेन में लंगर सेवा की शुरुआत करीब 29 साल पहले हुई थी. 1995 में जब यह ट्रेन शुरू हुई थी, तब इसे सप्ताह में सिर्फ एक बार चलाया जाता था. यात्रियों की बढ़ती संख्या और सेवा की मांग को देखते हुए 1997-98 में इसे सप्ताह में पांच दिन चलाया जाने लगा और 2007 से यह ट्रेन हर दिन चलने लगी.
लंगर व्यवस्था
सचखंड एक्सप्रेस कुल 39 स्टेशनों पर रुकती है लेकिन इनमें से 6 स्टेशन ऐसे हैं जहां लंगर की व्यवस्था होती है. इन स्टेशनों में नई दिल्ली और डबरा जैसे स्थान शामिल हैं, जहां दोनों दिशाओं से आने-जाने वाले यात्रियों के लिए लंगर की सुविधा रहती है. हर कोच — चाहे जनरल हो या एसी — सभी यात्री इस सेवा का लाभ ले सकते हैं. यात्रियों को बस अपने बर्तन साथ लाने होते हैं.
लंगर में हर दिन मिलता है अलग स्वाद
इस लंगर की सबसे खास बात यह है कि इसमें परोसे जाने वाले खाने में हर दिन कुछ अलग रहता है. कढ़ी-चावल, दाल, छोले, खिचड़ी, आलू-गोभी जैसी सब्जियां नियमित रूप से दी जाती हैं. यह न केवल स्वादिष्ट होता है बल्कि संतुलित और पौष्टिक भी होता है. यात्रियों को सफर के दौरान बाहर का खाना लेने की जरूरत ही नहीं पड़ती.
दान से चलता है ये सेवा चक्र
इस ट्रेन में मिलने वाले भोजन की व्यवस्था किसी निजी संस्था या सरकार द्वारा नहीं, बल्कि गुरुद्वारों को मिलने वाले दान के माध्यम से की जाती है. सेवा में लगे लोग स्वेच्छा से बिना किसी लाभ की भावना से काम करते हैं. यह सेवा सिख परंपरा के उस मूल सिद्धांत को दर्शाती है, जिसमें ‘सेवा और समानता’ को सर्वोच्च माना गया है.
सफर के दौरान खुद को घर जैसा अनुभव देते हैं वॉलंटियर्स
ट्रेन के रुकते ही स्टेशन पर पहले से मौजूद स्वयंसेवक (वॉलंटियर्स) यात्रियों को खाना, पानी और मदद उपलब्ध कराते हैं. कई बार ये लोग यात्रियों की ट्रेन पकड़ने में मदद भी करते हैं और वृद्ध व असहाय लोगों को विशेष सहूलियत देते हैं. यात्रियों का कहना है कि इस ट्रेन में सफर करना किसी धार्मिक यात्रा की तरह सुकून देता है.
रेलवे की ओर से भी लगातार हो रहा है सहयोग
हालांकि लंगर सेवा गैर-सरकारी है, लेकिन रेलवे प्रशासन भी इस सेवा को सफल बनाने में पूरा सहयोग देता है. ट्रेन का स्टॉपेज समय बढ़ा दिया जाता है ताकि यात्री आराम से भोजन कर सकें. इसके अलावा, स्टेशन प्रशासन और ट्रेन स्टाफ वॉलंटियर्स के साथ मिलकर एक सुनियोजित प्रक्रिया का पालन करते हैं.
सचखंड एक्सप्रेस
इस ट्रेन का नाम ‘सचखंड’ एक धार्मिक संदर्भ से जुड़ा है. ‘सचखंड’ शब्द का अर्थ है — ‘सत्य का स्थान’ जो सिख धर्म में परमात्मा का निवास स्थान माना जाता है. यह ट्रेन नांदेड़ में स्थित तख्त सचखंड श्री हजूर साहिब और अमृतसर में स्थित श्री हरमंदिर साहिब (स्वर्ण मंदिर) को जोड़ती है, जिससे यह ट्रेन धार्मिक यात्रियों के लिए विशेष महत्व रखती है.