Teacher Action: परिषदीय प्राथमिक स्कूलों में बीएड डिग्रीधारियों की भर्ती ने शिक्षा के क्षेत्र में नई समस्या आई है. इन शिक्षकों को चयनित किए जाने के बाद से ही उन्हें छह महीने के अनिवार्य प्रशिक्षण का सामना करना पड़ा जिसे वे अब तक पूरा नहीं कर पाए हैं. इसकी प्रमुख वजह एनसीटीई की ढिलाई और ब्रिज कोर्स के लिए निर्धारित ढांचे का न बन पाना है.
सुप्रीम कोर्ट का निर्देश और एनसीटीई की जिम्मेदारियां
सुप्रीम कोर्ट ने बीएड योग्यता के आधार पर चयनित शिक्षकों की नियुक्तियों को संरक्षित किया और एनसीटीई को एक साल के अंदर ब्रिज कोर्स तैयार करने का आदेश दिया. इसके बावजूद, निर्धारित समयसीमा के बाद भी ब्रिज कोर्स तैयार नहीं हो पाया है जिससे शिक्षकों का उचित प्रशिक्षण अधूरा पड़ा है.
प्रशिक्षण की अनिवार्यता और शिक्षक भर्ती में बीएड की भूमिका
एनसीटीई ने जून 2018 में यह निर्देश दिया था कि बीएड डिग्रीधारियों को नियुक्ति के दो साल के अंदर छह महीने का ब्रिज कोर्स करना अनिवार्य होगा. इसका उद्देश्य बीएड और डीएलएड के प्रशिक्षण में मौजूद अंतर को दूर करना था. हालांकि, यह निर्धारित कार्यान्वयन न होने के कारण, इस शर्त का पालन नहीं हो पाया है.
उत्तर प्रदेश और राजस्थान हाईकोर्ट के निर्णय
उत्तर प्रदेश में दिसंबर 2018 में शुरू हुई 69000 शिक्षक भर्ती के बाद, राजस्थान हाईकोर्ट ने एनसीटीई की 28 जून 2018 की अधिसूचना को निरस्त कर दिया. इस निर्णय को सुप्रीम कोर्ट ने भी बरकरार रखा. इससे बीएड डिग्रीधारियों के चयनित होने के बाद के प्रक्रिया में बाधा उत्पन्न हुई.