RBI New Rule: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में बैंक खातों में मिनिमम बैलेंस संबंधित नियमों में कुछ महत्वपूर्ण बदलाव किए हैं. इन बदलावों का मुख्य उद्देश्य ग्राहकों पर पड़ने वाले वित्तीय बोझ को कम करना है, खासकर उन खातों के लिए जो दो साल से अधिक समय से निष्क्रिय पड़े हैं. इसके अनुसार, यदि किसी खाते में दो साल से अधिक समय तक कोई लेनदेन नहीं किया गया है तो उसे बंद खाता माना जाएगा और ऐसे खातों पर मिनिमम बैलेंस की अनुपालना नहीं करने पर कोई जुर्माना नहीं लगेगा.
ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के लिए खास नियम
RBI ने ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बैंकों में मिनिमम बैलेंस संबंधित विभिन्न नियमों को भी स्पष्ट किया है. इसके अनुसार, ग्रामीण क्षेत्रों में खातों पर लागू होने वाली मिनिमम बैलेंस राशि शहरी क्षेत्रों की तुलना में कम होती है. यह कदम वित्तीय समावेशन और ग्रामीण ग्राहकों की सहायता के लिए उठाया गया है.
बंद खाते
यदि किसी खाते को दो वर्षों से अधिक समय से निष्क्रिय रखा गया है और इस दौरान खाते में मिनिमम बैलेंस नहीं रखा गया है, तो बैंक उस पर कोई जुर्माना नहीं लगा सकते. इससे ग्राहकों को उनकी वित्तीय स्थिति में सुधार करने में मदद मिलेगी, खासकर उन लोगों के लिए जो वित्तीय कठिनाइयों का सामना कर रहे हैं.
शिकायत दर्ज करने की प्रक्रिया
यदि कोई बैंक निष्क्रिय खातों पर मिनिमम बैलेंस न रखने की एवज में जुर्माना लगाता है, तो ग्राहक इसके खिलाफ बैंक या RBI की वेबसाइट पर शिकायत दर्ज कर सकते हैं. इससे उन्हें उचित समाधान प्राप्त करने में मदद मिलेगी.
स्कॉलरशिप और DBT खातों के लिए विशेष नियम
RBI ने स्पष्ट किया है कि स्कॉलरशिप और डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (DBT) खातों के लिए किसी भी प्रकार का मिनिमम बैलेंस चार्ज नहीं लगेगा, भले ही खाता दो वर्षों से अधिक समय से निष्क्रिय क्यों न हो. यह विद्यार्थियों और लाभार्थियों के हित में एक महत्वपूर्ण कदम है.
सेविंग अकाउंट्स पर विशेष ध्यान
यदि किसी सेविंग अकाउंट में दो साल तक कोई लेनदेन नहीं होता है, तो भी उस पर ब्याज दिया जाना चाहिए और उसे निष्क्रिय नहीं माना जाएगा. यह नियम खाताधारकों को अनावश्यक वित्तीय बोझ से बचाएगा और उनके पैसे को सुरक्षित रखेगा.
नियमों की आवश्यकता क्यों?
RBI ने ये नियम बैंकों में लावारिस खातों और बिना दावे वाली राशियों की संख्या को कम करने के लिए लागू किए हैं. इससे न केवल खाताधारकों को उनके धन की वापसी में मदद मिलेगी, बल्कि यह बैंकिंग प्रणाली में पारदर्शिता और उपयोगकर्ता की संतुष्टि में भी वृद्धि करेगा.