Indian Railway Line: रेलवे ट्रैक में गैप रखने की प्रक्रिया का मुख्य कारण तापमान में उतार-चढ़ाव को समायोजित करना है. गर्मी के दिनों में, जब तापमान बढ़ता है, तो धातु के पटरियां फैलती हैं. इस फैलाव को समायोजित करने के लिए और पटरियों को टूटने या हानि होने से बचाने के लिए गैप जरूरी हैं.
तापमान बदलाव का असर
तापमान में बढ़ोतरी के साथ पटरियां न केवल लंबाई में बढ़ती हैं बल्कि इससे उनकी संरचना में भी अस्थायी विकृति आ सकती है. गैप न होने पर पटरियां एक-दूसरे पर दबाव डाल सकती हैं, जिससे वे टेढ़ी हो सकती हैं या यहाँ तक कि टूट भी सकती हैं.
दुर्घटना निवारण
रेलवे ट्रैक में ये गैप दुर्घटनाओं को रोकने में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं. ट्रैक की इस तरह की विकृति से रेलगाड़ी डिरेल हो सकती है, जो कि बड़े हादसों का कारण बन सकती है. गैप इस जोखिम को कम करते हैं और ट्रेन की सुरक्षित यात्रा सुनिश्चित करते हैं.
शोर कम करने की क्षमता
जब ट्रेन पटरी पर दौड़ती है, तो उसके शोर को कम करने में भी ये गैप मदद करते हैं. गैप के कारण पटरी पर ट्रेन के पहियों का टकराव कम होता है, जिससे शोर में कमी आती है.
आधुनिकीकरण की ओर कदम
हालांकि, तकनीकी विकास के साथ, रेलवे ने पटरियों के बीच में गैप को कम करने और कुछ स्थानों पर वेल्डिंग करने का निर्णय लिया है. यह प्रक्रिया न केवल रेलवे ट्रैक को अधिक मजबूत बनाती है बल्कि मेंटेनेंस की आवश्यकता को भी कम करती है.