School Action: दिल्ली में स्कूली शिक्षा व्यवस्था एक बार फिर से सुर्खियों में है, क्योंकि फीस बढ़ोतरी का मामले एक बार फिर अहम खबर बन गया है. इस विषय पर भाजपा और आम आदमी पार्टी के बीच तीखी नोकझोंक जारी है.
भाजपा और आप में तेज हुई सियासी बयानबाजी
हाल ही में दिल्ली के शिक्षा मंत्री आशीष सूद ने घोषणा की है कि राजधानी के 1600 स्कूलों का ऑडिट किया जाएगा. इस प्रक्रिया को उन्होंने भाजपा के पिछले कार्यकाल में हुई अनियमितताओं की जांच के रूप में प्रस्तुत किया है. वहीं, आम आदमी पार्टी के दिल्ली प्रदेश अध्यक्ष, सौरभ भारद्वाज ने इसे लेकर तीखा पलटवार किया है और बीजेपी पर विजिलेंस विभाग के दुरुपयोग का आरोप लगाया है.
शिक्षा मंत्री की नई पहल और उसके प्रभाव
शिक्षा मंत्री आशीष सूद का कहना है कि दिल्ली स्कूल एजुकेशन एक्ट 1973 का पालन सुनिश्चित करने के लिए यह ऑडिट आवश्यक है. उनके अनुसार, कुछ प्राइवेट स्कूलों ने 30 से 38 प्रतिशत तक फीस बढ़ा दी है जो कि सरकारी मंजूरी के बिना नहीं की जा सकती. इस घोषणा के बाद से ही स्कूली शिक्षा में पारदर्शिता और नैतिकता के मुद्दे चर्चा में हैं.
आप का आरोप और राजनीतिक प्रतिक्रिया
सौरभ भारद्वाज ने भाजपा पर पलटवार करते हुए कहा कि बीजेपी ने अपने शासनकाल में शिक्षा के क्षेत्र में कई गलतियाँ की हैं और अब उन्हें दूसरों पर आरोप लगाने की बजाय अपने किए की जवाबदेही लेनी चाहिए. उन्होंने यह भी दावा किया कि बीजेपी के नेताओं ने अपनी शक्तियों का दुरुपयोग करते हुए निजी लाभ उठाया है.
स्कूलों का भविष्य
दिल्ली के शिक्षा मंत्री ने यह भी बताया कि सरकार स्कूलों की संरचना और शिक्षा गुणवत्ता में सुधार के लिए ठोस कदम उठाएगी. इस दिशा में पहला कदम उन स्कूलों का निरीक्षण है जिन्होंने फीस में अनुचित वृद्धि की है या जिनकी बिल्डिंग जर्जर स्थिति में है. इसके अलावा, सरकार उन स्कूलों को भी चिन्हित करेगी जो बिना मंजूरी के फीस बढ़ा रहे हैं और उन पर कठोर कार्रवाई की जाएगी.
इस प्रकार, दिल्ली में स्कूली शिक्षा की व्यवस्था में बड़े परिवर्तन की आशा की जा सकती है. यह मुद्दा न केवल शिक्षा की गुणवत्ता को प्रभावित करेगा बल्कि यह राजनीतिक दलों के बीच संवाद और सहयोग की नई दिशा भी तय करेगा.