Property Rights: भारतीय समाज में बहू को परिवार का महत्वपूर्ण हिस्सा मानते हुए, इलाहाबाद हाईकोर्ट ने एक महत्वपूर्ण निर्णय दिया है. इस निर्णय के अनुसार, अगर कोई महिला तलाक के बाद अपना घर नहीं चला पाती है तो उसे अपने सास-ससुर से गुजारा-भत्ता मांगने का अधिकार होगा.
हाईकोर्ट का आदेश और इसके प्रभाव
हाईकोर्ट ने इस निर्णय को समाज में लिंग आधारित समानता और न्याय के उद्देश्य से दिया है. इस निर्णय के तहत, बहुओं को परिवार में बेटियों से भी अधिक अधिकार प्रदान किए गए हैं. हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि वह 5 अगस्त 2019 के आदेश को बदले, जिससे बहू के अधिकारों को और मजबूती मिल सके.
बहुओं के अधिकार और उनकी सुरक्षा
हाईकोर्ट का यह निर्णय भारतीय परिवारों में बहुओं की स्थिति को मजबूत करने का एक प्रयास है. यह निर्णय न केवल बहुओं को उनके निजी जीवन में मदद करेगा बल्कि उन्हें सामाजिक और आर्थिक रूप से भी सशक्त बनाएगा. इस निर्णय से यह संदेश भी जाता है कि महिलाओं को उनके योगदान के लिए सम्मान और अधिकार मिलना चाहिए.
गुजारा भत्ता और कानूनी पहलू
हाईकोर्ट के अनुसार, अगर कोई महिला तलाक के बाद आर्थिक रूप से स्वावलंबी नहीं हो पाती है, तो उसे अपने सास-ससुर से गुजारा भत्ता मांगने का अधिकार है. यह अधिकार महिला को उसके जीवनयापन में मदद प्रदान करने के लिए दिया गया है ताकि वह सम्मान के साथ अपना जीवन जी सके.
समाज में बदलाव की दिशा में
हाईकोर्ट का यह निर्णय भारतीय समाज में एक सकारात्मक बदलाव की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है. इस निर्णय से महिलाओं की सुरक्षा और सम्मान में वृद्धि होगी और समाज में लिंग आधारित समानता को बढ़ावा मिलेगा. इस प्रकार के निर्णय न केवल कानूनी रूप से महत्वपूर्ण हैं बल्कि ये सामाजिक न्याय और समानता की ओर एक बड़ा कदम भी हैं.