Teacher Bharti: हरियाणा सरकार ने नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति (NEP) के तहत एक अभूतपूर्व और प्रशंसनीय कदम उठाते हुए प्राइमरी स्कूलों में संस्कार अध्यापकों की नियुक्ति का ऐलान किया है. इस फैसले का उद्देश्य बच्चों को केवल शैक्षणिक ज्ञान ही नहीं, बल्कि संस्कृति, नैतिकता, सामाजिक जिम्मेदारी और भारतीय गौरव की भावना से भी जोड़ना है. इस योजना की जानकारी केश कला एवं कौशल विकास बोर्ड के निदेशक नरेश सेलपाड़ ने दी. उन्होंने बताया कि यह कदम राज्य के स्कूलों में सकारात्मक माहौल और मूल्यों की शिक्षा को पुनर्जीवित करने के उद्देश्य से उठाया गया है.
बच्चों को पढ़ाई के साथ मिलेंगे संस्कार और नैतिक मूल्य
संस्कार अध्यापकों की भूमिका स्कूलों में पढ़ाई के साथ-साथ बच्चों के चरित्र निर्माण और मानसिक विकास में सहायक होगी. ये शिक्षक बच्चों को:
- देशभक्ति, सामाजिक व्यवहार, अनुशासन, स्वच्छता, ईमानदारी, सहिष्णुता और करुणा जैसे मूल्यों की शिक्षा देंगे.
- उनके अंदर भारतीय संस्कृति और परंपराओं के प्रति जागरूकता पैदा करेंगे.
- साथ ही प्रेरणादायक कहानियों, गतिविधियों और संवाद के माध्यम से बच्चों में आत्मविश्वास और नेतृत्व क्षमता भी विकसित करेंगे.
यह प्रोजेक्ट स्कूल एजुकेशन और साक्षरता मिशन के तहत चलेगा, जिसमें संस्कृति मंत्रालय का भी सहयोग रहेगा.
नियुक्ति प्रक्रिया में 12वीं पास युवा होंगे पात्र
सरकार ने इस योजना के तहत न्यूनतम शैक्षणिक योग्यता 12वीं पास तय की है. इसके अलावा:
- आवेदक की आयु 18 से 42 वर्ष के बीच होनी चाहिए.
- SC, ST, OBC और पूर्व सैनिकों को 3 साल की छूट दी जाएगी.
- महिलाओं को इस योजना में 33 प्रतिशत आरक्षण मिलेगा, जिससे ग्रामीण महिलाओं को शिक्षा व्यवस्था से जोड़ने का सुनहरा अवसर मिलेगा.
संस्कार अध्यापकों को मिलेगा तय मानदेय
सरकार द्वारा तय किए गए नियमों के अनुसार:
- चयनित अध्यापकों को रोजाना केवल 2 घंटे कार्य करना होगा, जिसमें वे बच्चों को अलग से ‘संस्कार कक्षा’ देंगे.
- इसके बदले उन्हें प्रति माह ₹9240 का मानदेय प्रदान किया जाएगा.
- यदि गांव में एक ही स्कूल है, तो शिक्षक को वहीं पढ़ाना होगा, जबकि दो स्कूल होने की स्थिति में अलग-अलग समय या दिन निर्धारित किए जाएंगे.
स्थानीय स्तर पर निगरानी के लिए बनेगी 7 सदस्यीय कमेटी
इस योजना की सफलता के लिए सरकार ने सामुदायिक भागीदारी और निगरानी की व्यवस्था भी तय की है. इसके लिए हर स्कूल के स्तर पर 7 सदस्यीय निगरानी समिति (Monitoring Committee) बनाई जाएगी, जिसमें:
- सदस्य 12वीं पास और समाजसेवी होंगे.
- समिति स्कूल मैनेजमेंट कमेटी (SMC) से अलग होगी, हालांकि यदि SMC के सदस्य योग्य हैं तो वे भी इसका हिस्सा बन सकते हैं.
- समिति का कार्य संस्कार कक्षाओं की गुणवत्ता, शिक्षक की नियमितता और बच्चों पर पड़ने वाले प्रभाव की निगरानी करना होगा.
क्या होगा संस्कार अध्यापकों का पाठ्यक्रम?
संस्कार अध्यापकों के लिए एक विशेष पाठ्यक्रम और प्रशिक्षण कार्यक्रम तैयार किया जाएगा, जिसमें उन्हें:
- नैतिक विषयों की जानकारी,
- बच्चों से संवाद की विधि,
- व्यवहारिक गतिविधियों के माध्यम से शिक्षण
सिखाया जाएगा.
इसके लिए राज्य शिक्षा विभाग और संस्कृति मंत्रालय संयुक्त रूप से ऑनलाइन व ऑफलाइन ट्रेनिंग मॉड्यूल विकसित करेंगे.
गांवों में शिक्षा को नई दिशा, युवा वर्ग को मिलेगा रोजगार
यह योजना न केवल बच्चों को बेहतर संस्कारों से जोड़ने का प्रयास है. बल्कि इससे गांवों के शिक्षित युवाओं को रोजगार का अवसर भी मिलेगा. ग्रामीण परिवेश में ऐसे युवा जो शिक्षण के क्षेत्र में रुचि रखते हैं. उनके लिए यह योजना एक अच्छा मंच प्रदान करेगी. वहीं इससे शिक्षा का स्तर और बच्चों में सीखने की प्रवृत्ति भी बेहतर होगी.