Home Loan: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने हाल ही में एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है जिसका असर सीधे तौर पर आम जनता और वित्तीय बाजार पर पड़ेगा. RBI ने बुधवार को रेपो रेट में 0.25% की कमी करते हुए इसे 6.25% से घटाकर 6.00% कर दिया है. इस कटौती के फलस्वरूप, देश के चार प्रमुख सरकारी बैंकों ने भी अपनी लोन दरों में कटौती की है, जिससे लोन लेने वाले उपभोक्ताओं को सीधा लाभ पहुँचेगा.
रेपो रेट में कटौती का तात्कालिक असर
रेपो रेट में की गई इस कटौती का असर तत्काल ही बाजार पर दिखाई दिया. पंजाब नेशनल बैंक (PNB) और इंडियन बैंक ने बुधवार देर शाम अपनी ब्याज दरों में 0.35% की कटौती की घोषणा की, जबकि बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक पहले ही इस कटौती की घोषणा कर चुके थे. यह कटौती न केवल मौजूदा ग्राहकों को लाभ पहुँचाएगी बल्कि नए ग्राहकों को भी आकर्षित करेगी.
बैंकों की नई ब्याज दरें और इसका प्रभाव
इंडियन बैंक ने अपनी रेपो आधारित उधार दर (RBLR) को 11 अप्रैल से 9.05% से घटाकर 8.70% कर दिया है. इसी तरह, पंजाब नेशनल बैंक ने भी RBLR को 9.10% से घटाकर 8.85% कर दिया है. बैंक ऑफ इंडिया और यूको बैंक ने भी समान रूप से अपनी दरों में कमी की है. इन कटौतियों का मुख्य उद्देश्य लोन लेने के इच्छुक अधिक से अधिक ग्राहकों को आकर्षित करना और व्यक्तिगत तथा वाणिज्यिक उधारियों को सस्ती दरों पर उपलब्ध कराना है.
फिक्स्ड डिपॉजिट पर प्रभाव
हालांकि, जहां एक ओर लोन लेने वाले ग्राहकों के लिए यह कटौती लाभकारी सिद्ध हो रही है, वहीं फिक्स्ड डिपॉजिट (FD) में पैसा जमा करने वाले ग्राहकों को इससे हानि हो सकती है. रेपो रेट में कटौती के कारण बैंकों द्वारा FD पर दी जाने वाली ब्याज दरों में भी संभावित रूप से कटौती की जा सकती है, जिससे उन ग्राहकों को नुकसान होगा जिन्होंने अपनी बचत को FD में निवेश किया हुआ है.
इस प्रकार, भारतीय रिजर्व बैंक की इस नई नीति का व्यापक प्रभाव पड़ेगा, न केवल उपभोक्ताओं पर बल्कि समूचे वित्तीय बाजार पर भी. यह कदम विशेष रूप से उन ग्राहकों के लिए लाभदायक होगा जो नए व्यापारिक उद्यमों की शुरुआत करने या मौजूदा उधारों को सस्ते में नवीनीकृत करने की सोच रहे हैं.