इन बीपीएल कार्ड धारकों पर होगी कानूनी कार्रवाई, सरकार ने दिया 20 अप्रैल तक का टाइम BPL Card Holder

BPL Card Holder: हरियाणा सरकार ने राज्य में फर्जी बीपीएल कार्ड बनवाकर सरकारी योजनाओं का गलत फायदा उठाने वाले लोगों पर शिकंजा कसना शुरू कर दिया है. सरकार का कहना है कि बहुत से ऐसे लोग हैं जो असल में बीपीएल (गरीबी रेखा से नीचे) श्रेणी में नहीं आते. फिर भी उन्होंने गलत दस्तावेजों या झूठी जानकारी के आधार पर बीपीएल कार्ड बनवा लिया और सरकारी सुविधाओं का लाभ ले रहे हैं.

जिनकी सालाना आय 1.80 लाख रुपये से ज्यादा

सरकारी नियमों के अनुसार हरियाणा में उन्हीं परिवारों को बीपीएल श्रेणी में शामिल किया जाता है जिनकी वार्षिक आय 1 लाख 80 हजार रुपये से कम है. ऐसे परिवारों को मुफ्त राशन, आयुष्मान भारत योजना, वृद्धावस्था पेंशन, छात्रवृत्ति, उज्ज्वला योजना और अन्य सरकारी सहायता मिलती है. लेकिन जांच में सामने आया है कि हजारों ऐसे लोग भी इस सूची में शामिल हैं जिनकी आय इससे ज्यादा है.

20 अप्रैल तक नाम कटवाने का मौका

राज्य सरकार ने ऐसे फर्जी लाभार्थियों को चेतावनी दी है कि अगर वे 20 अप्रैल 2025 तक स्वेच्छा से बीपीएल सूची से अपना नाम नहीं कटवाते, तो उनके खिलाफ एफआईआर दर्ज कर सख्त कानूनी कार्रवाई की जाएगी. सरकार ने इस संबंध में सभी जिलों को निर्देश जारी कर दिए हैं और बीपीएल सूची की फिर से जांच शुरू हो गई है.

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किस जिले से कितने परिवारों को निकाला गया बाहर?

सरकार द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार अब तक 1,600 से ज्यादा परिवारों को बीपीएल श्रेणी से बाहर किया जा चुका है. सबसे ज्यादा फर्जी कार्डधारक हिसार, सोनीपत और कुरुक्षेत्र जिलों से पाए गए हैं. नीचे जिला वाइज आंकड़े दिए गए हैं:

जिलानिकाले गए परिवारों की संख्या
अंबाला36
भिवानी106
दादरी12
फरीदाबाद20
फतेहाबाद82
गुरुग्राम84
हिसार145
झज्जर73
जींद75
कैथल40
करनाल73
कुरुक्षेत्र175
महेंद्रगढ़38
नूंह17
पलवल46
पंचकूला3
पानीपत49
रेवाड़ी39
सिरसा73
सोनीपत145
यमुनानगर90

हरियाणा में 51 लाख से ज्यादा बीपीएल परिवार

फिलहाल हरियाणा राज्य में कुल 51 लाख 96 हजार 380 बीपीएल कार्डधारी परिवार दर्ज हैं. लेकिन जब से फर्जीवाड़े के मामले सामने आए हैं, सरकार ने सभी कार्डों की गहन जांच शुरू कर दी है. यह सुनिश्चित किया जा रहा है कि केवल वही लोग बीपीएल श्रेणी में रहें जो वास्तव में इसके पात्र हैं.

सरकार का मकसद

हरियाणा सरकार ने यह साफ किया है कि इस कार्रवाई का मकसद गरीबों को योजनाओं से वंचित करना नहीं, बल्कि यह सुनिश्चित करना है कि जो योजनाएं केवल गरीबों के लिए बनाई गई हैं, उनका लाभ असली जरूरतमंदों तक पहुंचे.
सरकार का मानना है कि फर्जी लाभार्थी असली गरीबों का हक छीन रहे हैं. जिससे योजनाएं अपने मकसद में सफल नहीं हो पा रही हैं.

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कैसे करें बीपीएल सूची से नाम हटाने की प्रक्रिया?

जो लोग बीपीएल सूची से बाहर होना चाहते हैं या जिनकी आय अब तय मानकों से अधिक हो गई है, वे स्वयं अपना नाम कटवा सकते हैं. इसके लिए नीचे दी गई प्रक्रिया अपनाई जा सकती है:

  • अपने नजदीकी जन सेवा केंद्र (CSC) या तहसील कार्यालय में संपर्क करें.
  • अपने सभी दस्तावेजों की कॉपी साथ लेकर जाएं – आधार कार्ड, राशन कार्ड, आय प्रमाण पत्र आदि.
  • बीपीएल सूची से नाम हटाने के लिए स्वेच्छा से आवेदन पत्र भरें.
  • आवेदन स्वीकृत होने के बाद बीपीएल कार्ड को सिस्टम से निष्क्रिय कर दिया जाएगा.

फर्जीवाड़े पर क्यों सख्त हुई सरकार?

पिछले कुछ वर्षों में बीपीएल कार्ड को लेकर सरकार के पास लोगों की शिकायतें लगातार बढ़ी हैं. कई बार ऐसे लोग सरकारी योजनाओं में नामित पाए गए जिनके पास खुद की गाड़ी, पक्का मकान या अन्य संपत्तियां थीं.
सरकार की ताजा कार्रवाई ई-गवर्नेंस और डेटा विश्लेषण के आधार पर शुरू की गई है. जिससे अब फर्जी लाभार्थियों को छिपना मुश्किल होगा.

अगर कार्रवाई नहीं होती तो क्या होता?

अगर फर्जी बीपीएल कार्डधारकों पर सरकार कार्रवाई नहीं करती, तो इसके कई नुकसानदायक प्रभाव होते:

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  • असली गरीबों को योजनाओं से वंचित होना पड़ता.
  • सरकार के कोष का दुरुपयोग होता.
  • जनकल्याण योजनाओं की साख और प्रभावशीलता पर असर पड़ता.
  • भ्रष्टाचार को बढ़ावा मिलता.

इसलिए सरकार की यह कार्रवाई लंबे समय से जरूरी मानी जा रही थी.

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