मिडल क्लास को एक और बड़ी राहत दे सकता है RBI, अगले महीने से हो सकता है बड़ा ऐलान RBI Repo Rate

RBI Repo Rate: भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) एक बार फिर देश के मध्यम वर्ग (Middle Class) को राहत देने की तैयारी में है. रिपोर्ट्स के मुताबिक अगले महीने यानी अप्रैल 2025 में होने वाली मौद्रिक नीति समिति (Monetary Policy Committee – MPC) की बैठक में आरबीआई रेपो रेट (Repo Rate) में 0.25% की कटौती कर सकता है. यह फैसला देश की आर्थिक स्थिति और गिरती हुई महंगाई को देखते हुए लिया जा सकता है. अगर यह कटौती होती है, तो यह होम लोन, ऑटो लोन और पर्सनल लोन की ब्याज दरों में कमी लाएगी. जिससे आम लोगों की EMI का बोझ कुछ हद तक कम हो सकेगा.

क्या है रेपो रेट और इसका आम आदमी से क्या संबंध है?

रेपो रेट वह दर होती है जिस पर आरबीआई, बैंकों को अल्पकालिक ऋण देता है. जब रेपो रेट घटता है, तो बैंकों को सस्ते दर पर पैसे मिलते हैं और वे ग्राहकों को कम ब्याज पर लोन देने लगते हैं. इससे होम लोन, कार लोन और अन्य लोन की ईएमआई घटती है. जिसका सीधा फायदा मिडिल क्लास परिवारों को होता है. इसलिए रेपो रेट में संभावित कटौती को लेकर लोगों में खासा उत्साह है.

इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट में जताई गई उम्मीद

रेटिंग एजेंसी इंडिया रेटिंग्स एंड रिसर्च ने अपनी ताजा रिपोर्ट में कहा है कि आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति अप्रैल 2025 में होने वाली बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती कर सकती है. इस रिपोर्ट के मुताबिक देश में महंगाई दर नियंत्रित हो रही है और आर्थिक विकास की गति धीमी हो रही है. ऐसे में जरूरत है कि मौद्रिक नीति में नरमी लाकर बाजार को सहारा दिया जाए.

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महंगाई पर लगाम, विकास को गति देने की तैयारी

इंडिया रेटिंग्स के प्रमुख अर्थशास्त्री देवेंद्र कुमार पंत के अनुसार वित्त वर्ष 2024-25 में महंगाई दर 4.7% रहने की उम्मीद है, जो आरबीआई के लक्ष्य के अनुरूप है. अगर महंगाई इसी तरह कम होती रही तो वित्त वर्ष 2025-26 में रेपो रेट में कुल 0.75% तक की कटौती संभव है. इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में लोन की ब्याज दरों में और गिरावट देखी जा सकती है.

अमेरिका की नीतियों का असर भी होगा अहम

रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि अगर अमेरिका की ओर से व्यापार पर नए शुल्क या आर्थिक दबाव देखने को मिलता है, तो आरबीआई और अधिक नरमी वाला रुख अपना सकता है. इसका मतलब यह हुआ कि अंतरराष्ट्रीय स्थितियों का प्रभाव भी भारत की मौद्रिक नीति पर पड़ेगा और जरूरत पड़ने पर आरबीआई आर्थिक गतिविधियों को संभालने के लिए और राहत दे सकता है.

फरवरी में हो चुकी है एक बार कटौती

आरबीआई ने फरवरी 2025 में 0.25% की कटौती कर रेपो रेट को 6.25% किया था, जो पहले 6.50% था. यह कदम भी महंगाई में आई गिरावट को देखते हुए उठाया गया था. अब इंडिया रेटिंग्स को उम्मीद है कि अप्रैल में फिर से 0.25% की कटौती की जा सकती है और पूरे वित्त वर्ष 2025-26 में कुल मिलाकर 1% की कटौती संभव है. इससे रेपो रेट 5.5% तक आ सकती है. जो पिछले दो वर्षों की तुलना में काफी राहत देने वाला स्तर माना जाएगा.

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एमपीसी की पहली बैठक 7 से 9 अप्रैल को

आरबीआई की मौद्रिक नीति समिति की पहली बैठक 7 से 9 अप्रैल 2025 को होगी. इस बैठक में महंगाई, विकास दर, वैश्विक हालात और घरेलू बाजार की स्थिति का मूल्यांकन किया जाएगा और उसके बाद ही रेपो रेट में बदलाव पर अंतिम निर्णय लिया जाएगा. लेकिन विशेषज्ञों का मानना है कि परिस्थितियां इस समय रेपो रेट में कटौती के पक्ष में हैं.

फायदे में होंगे लोन लेने वाले, नई खरीद में मिलेगी राहत

अगर रेपो रेट में कटौती होती है, तो होम लोन, ऑटो लोन और एजुकेशन लोन की ईएमआई कम हो सकती है. यह उन लोगों के लिए अच्छा मौका है जो नया घर या गाड़ी खरीदने की सोच रहे हैं. साथ ही पुराने लोन वाले ग्राहकों को भी कम ब्याज दर का लाभ मिल सकता है. खासतौर पर अगर उनका लोन फ्लोटिंग रेट पर चल रहा है.

RBI का ध्यान अब ग्रोथ पर केंद्रित

इंडिया रेटिंग्स की रिपोर्ट के अनुसार, फरवरी 2025 में हुई एमपीसी बैठक के ब्योरे से साफ है कि आरबीआई अब आर्थिक वृद्धि को लेकर गंभीर है. महंगाई दर को नियंत्रण में रखने के साथ-साथ अब केंद्रीय बैंक की कोशिश है कि ग्रोथ को भी बढ़ाया जाए. ताकि निवेश और खपत दोनों को बल मिल सके.

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