Petrol Diesel Vet: भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतों में हाल ही में हुई बढ़ोतरी ने आम जनता की जेब पर काफी असर पड़ा है. सरकार ने स्पेशल एडिशनल एक्साइज ड्यूटी (SAED) में बढ़ोतरी की है जिसके चलते प्रति लीटर पेट्रोल और डीजल पर 2-2 रुपये का इजाफा हुआ है. इस कदम से सरकार को 5,000 से 7,000 करोड़ रुपये की अतिरिक्त आमदनी होने का अनुमान है, जिसका उपयोग LPG सब्सिडी के घाटे की भरपाई में किया जा सकता है.
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री का बयान और उसके पीछे की रणनीति
केंद्रीय पेट्रोलियम मंत्री, हरदीप सिंह पुरी के अनुसार, यह निर्णय LPG पर हो रही अंडर-रिकवरी को संबोधित करने के लिए लिया गया है. यह फैसला ऐसे समय में आया है जब अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घटकर मात्र $63-64 प्रति बैरल हो गई हैं, जो मार्च के अंत में $77 प्रति बैरल थीं.
भारत में क्यों नहीं घट रही पेट्रोल-डीजल की कीमतें?
यह बड़ा सवाल है कि जब वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल की कीमतें कम हो गई हैं, तो भारत में पेट्रोल और डीजल की कीमतें आसमान छू रही हैं. दिल्ली में पेट्रोल की कीमत प्रति लीटर 94.77 रुपये है, जबकि इसका बेस प्राइस केवल 55.09 रुपये है. शेष राशि टैक्स और विभिन्न शुल्कों के रूप में सरकारी खजाने में जा रही है.
टैक्स का बोझ और उसका आम जनता पर प्रभाव
भारतीय सरकार द्वारा लगाए गए टैक्स और ड्यूटी की मात्रा इतनी अधिक है कि यह आम जनता की जेब पर भारी पड़ती है. वास्तव में, पेट्रोल और डीजल के हर लीटर में लगभग 40% राशि केवल टैक्स के रूप में जा रही है. यह विशेषज्ञों के अनुसार, अगर टैक्स में रियायत दी जाए तो ईंधन की कीमतें कम हो सकती हैं, जिससे महंगाई पर नियंत्रण संभव हो सकता है.
सरकारी राजस्व और इसका उपयोग
टैक्स से मिलने वाली राजस्व राशि का उपयोग सरकार द्वारा इंफ्रास्ट्रक्चर, सब्सिडी और अन्य सामाजिक कल्याणकारी योजनाओं में किया जाता है. हालांकि, इस बढ़ी हुई टैक्स दर का सीधा असर आम आदमी की जेब पर पड़ता है, जिससे उनका जीवन स्तर प्रभावित होता है.
इस प्रकार, पेट्रोल और डीजल की कीमतों में वृद्धि न केवल एक आर्थिक मुद्दा है बल्कि यह आम जनता के जीवन पर गहरा प्रभाव डालता है, और इस पर विचारशील नीति निर्धारण की आवश्यकता है.