Tiolet Dual Flush: दुनियाभर में कई ऐसी चीजें हैं जिन्हें हम रोज़ इस्तेमाल करते हैं, लेकिन उनके पीछे का विज्ञान या सही उपयोग हमें पता नहीं होता. ऐसी ही एक आम चीज है टॉयलेट का फ्लश, जिसमें दो अलग-अलग बटन होते हैं. हममें से अधिकतर लोग इन बटनों का महत्व और सही उपयोग नहीं जानते.
ड्यूल फ्लश सिस्टम की अवधारणा और उपयोगिता
हाल ही में WIT (Water Innovation and Technology) नामक अंतरराष्ट्रीय संस्था ने एक अध्ययन जारी किया, जिसमें पाया गया कि लगभग 85% लोग नहीं जानते कि टॉयलेट के इन दो बटनों का उद्देश्य क्या है. यह संस्था वैश्विक स्तर पर जल संरक्षण की दिशा में काम करती है और इसका मुख्य उद्देश्य पानी बचाने की तकनीकों को बढ़ावा देना है.
ड्यूल फ्लश सिस्टम, जो कि इन दो बटनों में निहित है, का मुख्य उद्देश्य पानी की बचत करना है. इस सिस्टम में एक छोटा बटन और एक बड़ा बटन होता है, जिनका उपयोग अलग-अलग प्रकार की जरूरतों के लिए किया जाता है.
‘हाफ फ्लश’ और ‘फुल फ्लश’ की विशेषताएँ
छोटा बटन, जिसे ‘हाफ फ्लश’ कहा जाता है, मुख्यतः पेशाब करने के बाद इस्तेमाल के लिए होता है. इस बटन का उपयोग करने पर केवल लगभग 3 लीटर पानी खर्च होता है. यह जल संरक्षण के लिहाज से काफी प्रभावी है क्योंकि इससे कम पानी में ही सफाई संभव हो जाती है.
दूसरी ओर, बड़ा बटन जिसे ‘फुल फ्लश’ कहा जाता है, मल त्याग के बाद उपयोग के लिए होता है. इसके द्वारा लगभग 6 लीटर पानी खर्च होता है, जो कि अधिक सफाई की आवश्यकता को पूरा करता है.
जनजागरूकता और जल संरक्षण
इस अध्ययन के माध्यम से WIT ने यह भी जोर दिया कि जल संरक्षण के लिए जनजागरूकता बेहद जरूरी है. अधिकांश लोगों को इन बटनों के सही उपयोग की जानकारी न होने के कारण पानी की बर्बादी होती है. सही जानकारी और उपयोग से न केवल पानी की बचत होगी बल्कि यह पर्यावरण के लिए भी सहायक सिद्ध होगा.
इस तरह के शोध और अध्ययन हमें यह समझने में मदद करते हैं कि रोजमर्रा की जिन चीजों को हम महत्वहीन समझते हैं, उनका भी बड़ा महत्व होता है. यदि हम इन छोटी-छोटी चीजों पर ध्यान दें और उन्हें सही तरीके से इस्तेमाल करें, तो हम अपने पर्यावरण को बचा सकते हैं और एक स्थायी भविष्य की ओर बढ़ सकते हैं.